1996 से अब तक चित्रकथा का सफर बड़ा मनोरंजक रहा है, कोशिश की है छोटी सी उन्हे शब्दों में पिरोने की ।
वक्त है 1996 का, जब मैंने पहली चित्रकथा पढ़ी थी, नाम था – भोकाल की तलवार, हालांकि दीदी ने भोकाल की तलवार और नागराज की कब्र एक साथ भेंट की थी, लेकिन चित्रकथा का मुख्य पृष्ठ देख कर पहले पढ़ने का मन हुआ भोकाल, बड़ा अजीब सा नाम था, वासेपुर में गोलियां चल रही थी और मैं तलवार के स्वप्न में डूबा हुआ था, तलवार भी ऐसी जिससे ज्वालासक्ति निकलती थी, ड्रैगन पुराने हुए, आग उगलते शस्त्र, हुह उत्तेजित था, अब पड़ोस के बच्चों को ललचाने का वक्त था, चित्रकथा दिखा के।
मेरे मोहल्ले में मेरी उम्र का कोई बच्चा था नहीं, बड़े थे, छोटे भी, थोड़ा सूनापन लगता था की किसके साथ खेलूं, बड़े लोग गोल गट्टम लकड़ पट्टम में बस गेंद पकड़ने का काम देते थे, शाम का वक्त था, दूसरे मोहल्ले से प्रतिस्पर्धा थी, खेल में सारे बड़े लोग स्थान निकल लिए थे, 18 दौड़ बाकी थी, आखिरी लड़का बचा था मैं, 3 गेंद बची थी, 3 छक्के मारे, जीत गए, सबने कहा वाह, इतना अच्छा कैसे खेला वो भी पहली बार मैं, मैंने कहा ये बल्ला नहीं, भोकाल की तलवार है 🗡️
फिर तो सबने पूछा की ये भोकाल क्या है, कसम से पूरे मोहल्ले को भोकाल की लत लगा दी मैंने ।
फायदा ये हुआ कि अब सब लोग चित्रकथा खरीदने लगे, नई नई चित्रकथा पढ़ने को मिलने लगी ।
नुकसान ये हुआ की सबके अभिवावक मेरी उलाहना देने लगे, हमारे बच्चे को उसने बिगाड़ दिया, चित्रकथा की लत लगा दी ।
मेरे पिता जी को मालूम पड़ा तो बोले, तुमको जो करना है करो, मैं तुमको सारी चित्रकथा ला दूंगा, लोगो से लेन देन बंद करो, और अगर इस बार दूसरी कक्षा में प्रथम आए तो ध्रुव की कॉमिक्स ला दूंगा, तो कक्षा में प्रथम भी आया, और घर में जो तीसरी कॉमिक्स आई वो थी, लहु के प्यासे ।
लहू पी के खुश हुआ ही था की पड़ोस के एक जीतू भैया बोले ये तो बहुत पुराना है, मेरे पास मोटे ध्रुव की कॉमिक्स है जो इस साल आई है, अंधी मौत, आकर्षक चित्र था, ध्रुव की आंखों की पुतलियां नहीं थी, किसी ने शायद धक्का दे कर गिराया था, अब तो मन बेचैन हो उठा कि मोटा ध्रुव कैसा होगा, उसकी कहानी कहां तक आगे बढ़ गई होगी। क्यों उसको किसी ने फेंक दिया, बालमन अपने सपने बुन चुका था । पापा ने कुछ दिन पहले ही चित्रकथा ला दी थी, वक्त था अब मम्मी या दीदी को मानने का । कक्षा तीसरी की और अग्रसर भी था, नई किताबें भी मिली थी ।
मिलते हैं 97 की नई कहानी में बहुत जल्द ।
क्रमशः