हाँ तो भाइयों, ये साल था द्विनायक वाला ।
आज भी जब तीसरी कक्षा की याद आती है तो साल नहीं, ‘दो फौलाद’ याद आती है 😂।
जनवरी का महीना था, नई किताबें मिली थी, किताबों की खुशबू नायाब थी ।
बिहार राज्य की किताबें चलती थी उस वक्त, केंद्रीय स्कूल और उसकी किताबें अभी हमारे गांव से दूर थी ।
मेरे पापा ने कहा, एक हफ्ता हो गया बेटा, कितने गणित के सवाल बनाए, मैने कहा एक अध्याय ।
पापा ने समझाया, गणित में रुचि लोगे तभी तो आगे कामयाब होगे, 11 वी कक्षा में एक अनिवार्य विषय होता है और अगर इस महीने गणित के 3 अध्याय बना लिए तो पापा की तरफ से एक उपहार ।
अंधे को क्या चाहिए दो आंखें, मुझे क्या चाहिए था ? मोटे ध्रुव की एक भी चित्रकथा 😁 ।
मैंने दिन रात जागकर पूरी गणित की किताब 3 हफ्ते में ही खत्म कर दी ।
सारे लोग हतप्रभ थे, मेरी अभ्यास पुस्तिका (नोटबुक) सब ऐसे देख रहे थे जैसे कुछ चमत्कार देख लिया हो ।
मेरे घर पे आने वाले अध्यापक ‘विनय झा’ जी पूरे परेशान दिखे, बिना किसी मदद के कैसे बना लिया ।
मैने उधारण की मदद ली थी, फिर अभ्यास किया था ।
खैर वादा तो वादा था, पापा के साथ इस बार खुद से पुस्तक भंडार गया, दुख की बात ये थी कि मोटे ध्रुव की कोई कॉमिक्स ही नहीं थी, मन फिर उदास हो गया, क्या लूं ना लूं, मुझे उदास देख पापा ने मुझे 50 रुपए दिए और कहा मैं पान खा के आता हूं, तुम्हारी जो मर्जी पसन्द कर के ले लो ।
मैंने एक बोदी वाले इंसान को देखा जो रस्सी पे पड़ा था, राजा रानी की चित्रकथा लग रही थी, सोचा एक बार पढ़ने लायक तो होगी ही ।
फिर मैंने कुछ चित्रकथायें समेटी जो 50 के अंदर आ सकती थी,
लिखे जो खत तुझे (बांकेलाल, राज कॉमिक्स)
पानी की कीमत (तुलसी कॉमिक्स)
आई लव यू (डोगा, राज कॉमिक्स)
विकांडा (भोकाल, राज कॉमिक्स)
लॉकेट (हॉरर,राज कॉमिक्स)
काफी सारी चित्रकथायें मिल गई थी, अब मन में संतोष था ।
फरवरी का महीना था, सारे चित्रकथा बार बार पढ़े, अफीम से ज्यादा असरदार थी ये चित्रकथायें । मैं नसे मैं था, मदमस्त, झूम रहा था ।
अप्रैल तक मैने सारी तीसरी कक्षा की किताबें खत्म कर दी, लेकिन अबकी बार कोई चित्रकथा खरीद नहीं दे रहा था, पिताजी भी बहन की शादी (बुआ) में लगे हुए थे । क्या करूं कैसे नए चित्रकथा पढ़ूं ।
इस उद्देहरबुन में जुलाई का महीना आ गया, बुआ की शादी थी, घर में काफी सारे मेहमान, रिश्तेदारों का आना जाना हुआ ।
मेरी तो जैसे चांदी ही हो गई, सबके पैर छू के आशीर्वाद लो और आशिर्वादी में 100, 200, 500 मिल रहे थे ।
मन में लालच आ गया, जिनको नहीं जानता था, उनका भी आशीर्वाद लिया, हालांकि उस वक्त तक लालच का सही मतलब पता नहीं था, लेकिन यही था जो था 😂 ।
घमासान बारिश के बीच बुआ की शादी संपन्न हुई । फुफा जी के भाई ‘नीरज मिश्र’ भी चित्रकथा के शौकीन निकले ।
उन्होंने एक चित्रकथा भेंट की ‘हवलदार बहादुर और सौटा सांढ’ ।
कसम से हंसते हंसते पेट में बल पड़ गए ।
वक्त हो चला था सर्दियों का, इस साल काफी चित्रकथा पढ़ी थी, काफी सारे जांबाज बांकुरो का पता भी चला था ।
हां इस बार भी तीसरी कक्षा में प्रथम आया था, अपनी कक्षा में ।
कुछ और जो चित्रकथायें समेटी थी इस साल वो इस प्रकार से थी –
लहराता रहेगा तिरंगा (तिरंगा, राज कॉमिक्स)
जहरीले सिक्के (तिरंगा, राज कॉमिक्स)
ब्रेन ड्रेन (टोड्स, राज कॉमिक्स)
केंचुली (नागराज, राज कॉमिक्स)
राजनगर की तबाही (नागराज | ध्रुव, राज कॉमिक्स)
दो फौलाद (डोगा | स्टील, राज कॉमिक्स)
बलवान, मगरा (योद्धा, राज कॉमिक्स)
ब्लेड (परमाणु, राज कॉमिक्स)
चुड़ैल मां (भोकाल, राज कॉमिक्स)*
काफी सारे प्रचार भी थे, एक नारी शक्ति आने वाली थी, 98 में ।
तो मिलते हैं अगले वर्ष 98 में।